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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में पहली बार दर्ज हुआ बलिया का नाम


बलिया पत्रिका / रसड़ा :- काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 100 वर्षों में पहली बार बलिया की एक छात्रा नेहा सिंह का "गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड " में नाम दर्ज हुआ है। बलिया के जिलाधिकारी श्री हरि प्रताप शाही ने नेहा सिंह के घर रसड़ा तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव में कल 20 दिसम्बर दिन में 11:00 बजे खुद आकर उन्हें बधाई दिया तथा सर्टिफिकेट का विमोचन भी किया। साथ ही रसड़ा एसडीएम मोती लाल यादव भी आये और आशीर्वाद प्रदान किये। बलिया की बेटी नेहा सिंह द्वारा खनिज रंगों से 'भगवद्गीता' पर आधारित "मोक्ष का पेड़" नामक चित्र बनाकर "गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में अपना नाम दर्ज करके अपने शहर बलिया के साथ साथ राज्य एवं देश का नाम भी रोशन किया है। नेहा पिछले साल से तैयारी में थी, लॉक डाउन में अप्रैल महीने से घर बैठ कर खनिज रंगों से बनाया सबसे बड़ा पेंटिंग जिसका साइज 675.36 स्कॉयर फ़ीट है। पेंटिंग जुलाई महीने में ही गिनीज़ के नियमों के अनुसार तैयार करके ऑनलाइन से सारा डाक्यूमेंट्स जमा कर चुकी थी मगर कोविड के चलते गिनीज़ से जवाब आने में चार महीने का समय लग गया।

पहले यह रिकॉर्ड भारत के ही आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा की रहनेवाली श्रेया तातिनेनी के नाम था जिन्होंने 29 सितंबर 2019 को 588.56 स्कॉयर फ़ीट में खनिज रंगों से पेंटिंग बनाई थी। उसी समय से इसी रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए एप्लीकेशन डाला हुआ था मगर गिनीज़ रिकॉर्ड से अनुमति मिलते एवं तैयारियां करते करते साल भर का समय लगा। खनिज रंगों से जो भी पेंटिंग बनायेंगे उसका अप्रूवल पहले से ही गिनीज़ से लेना पड़ता था। करीब 8 अलग अलग पेंटिंग को नकारने के बाद अंतिम गिनीज़ रिकॉर्ड के लिए भगवद्गीता पर आधारित पेंटिंग बनाई। खनिज रंगों से पेंटिंग बनाने के लिए गिनीज़ रिकॉर्ड अथॉरिटी के बहुत सारे नियमों का पालन करना था। भगवद्गीता के अठ्ठारह अध्यायों को, पेड़ के अठ्ठारह शाखाओं में और एक एक शाखाओं में 1 से 18 पत्तों का चित्रण करके ऊपर कमल एवं ॐ से मोक्ष प्राप्ति का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया है। इस कार्य की तैयारी एवं पूर्ण रूप देने के लिए पिछले सात सालों से खुद से बनाई गयी। लगभग सभी पेंटिंग मुंबई के एक चित्रकला के व्यापारी को बेच दिए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र के पहले सत्र की छात्रा सुश्री नेहा सिंह को वैदिक साहित्य में अधिक रुचि होने के कारण ललित कला में स्नातकोत्तर के बाद आजकल के भागदौड़ एवं मोह-माया से दूर वैदिक विज्ञान, उपनिषद, भगवद्गीता, भारतीय संस्कृति आदि विषयों में निरंतर शोध एवं अध्ययन में लगी रहती थी। आम जन को देखने के लिए नेहा सिंह ने पेंटिंग को अपने घर रसड़ा तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव के बाहर लगाया है। बलिया के कई विधायक एवं संसद सहित कई गणमान्य लोग छात्रा को बधाई देने पहुंच रहे हैं। 

          बताते चले कि नेहा सिंह पहले भी बना चुकी है कई रिकॉर्ड जिसमे पहला रिकार्ड 16 लाख मोतियों से 10 × 11 फुट का भारत का नक्शा बनाकर " WORLD RECORD OF INDIA"  में  दर्ज है। दूसरा रिकार्ड 449 फीट कपड़े पर  38417 डॉट डॉट कर उंगलियों के निशान से हनुमान चालीसा लिख कर "EURASIA WORLD RECORD" में दर्ज है। तीसरा रिकार्ड दुनिया का पहला दशोपनिषद् एवं महावाक्य का डिजिटल प्रिंटेड एल्बम बनाकर " INDIAN BOOK OF RECORDS" में दर्ज है। नेहा सिंह बीएसएफ में कार्यरत बुटन सिंह की बेटी है एवं बलिया के समाजसेवी तथा भूतपूर्व छात्र नेता मथुरा पीजी कालेज के अमित कुमार सिंह (बिटटू) की बहन हैं। नेहा द्वारा प्रवासी भारतीय दिवस पर बनाई पंच तत्व की पेंटिंग अमेरिका से आये एक अतिथि ने खरीद लिया था। वही नेहा सिंह के इस पेंटिंग के वजह से पूरे क्षेत्र सहित अपने बलिया जिले और देश का नाम भी रोशन किया है।


आशुतोष पाण्डेय की रिपोर्ट