Click to Subscribe!

कांग्रेस नेत्री पूनम पाण्डेय का भाजपा पर हमला, देश की समस्याओं पर दे ध्यान


बलिया पत्रिका / बलिया :- भाजपा के किसान आन्दोलन के प्रति बयानबाजियों पर चुटकी लेती हुई उत्तर प्रदेश महिला काँग्रेस कमेटी (पूर्वी जोन) की प्रदेश महामन्त्री पूनम पाण्डेय ने आज मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि ये तो आप सभी भारत वासियों को मानना पड़ेगा कि भाजपा, आरएसएस और गोदी मीडिया राहुल गांधी जी से बहुत प्रेम करती है। यदि एक पल भी वे उन्हें नही दिखते ,तो मीडिया के माध्यम से भाजपा हंगामा खड़ा कर देती है। ये और बात है कि जब राहुल जी सामने होते हैं तो उन्हें नकारने के पूरे प्रयास दिन भर चलते हैं। लेकिन इतनी छोटी सी बात जनता क्यों नही समझ रही है कि आखिर भाजपा को राहुल गांधी जी की चिंता क्यों है? कि वो कहाँ रहते हैं, कहाँ जाते हैं? क्योंकि उन्हें मालूम है कि उन्हें जड़-मूल से कोई उखाड़ सकता है तो वो गांधी परिवार का अंश हो सकता है।कब तक उस कहावत को चरितार्थ करते रहोगे कि कौआ कान ले गया और सभी कौए के पीछे भाग रहे हैं अरे अपने कान टटोल कर देख लो अपनी जगह पर हैं या नही। अब देखिए कि राहुल गांधी जी अपनी बीमार नानी से मिलने जाए तो मीडिया और कथित बुद्धजीवी आसमान सिर पर उठा लेते हैं। क्या,भाजपा के लोग 95 साल की बूढ़ी बीमार नानी से मिलने नहीं जाते हैं क्या? कैसी परवरिश है आपलोगों की? सोनिया जी के मायके में उनका पूरा परिवार है, 95 साल की माँ हैं, 2 बहनें है, भाई हैं। नानी का घर इटली में होना राहुल गांधी जी का गुनाह है क्या? परिवार को वक़्त देना गुनाह है क्या? किसी मुसीबत में अपनों के बीच जाकर उनका कुशलक्षेम लेना गुनाह है क्या? भाजपा और आरएसएस वालों का परिवार नही होता, या होता भी हैं तो वो उन परिजनों की परवाह नही करते। मां को छोड़ देते हैं पत्नि को एफिडेविट में स्वीकार तो करते हैं ,लेकिन उनकी खैर खबर भी नही पूछते। क्योंकि उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी निभाना सीखा ही नही। अब सोनिया जी सफर नहीं कर सकतीं, लिहाज़ा एक बूढ़ी माँ उम्मीद करती है कि बेटी के घर से बेटी ना सही उनके बच्चे ही आ जाएं। राहुल जी गए हैं अपनी नानी से मिलने, वैसे सोनिया जी और प्रियंका जी दोनों भारत में ही मौजूद हैं फिर दिक्कत क्या है? दिक्कत ये है कि राहुल जी नही हैं तो अब विरोध किसका करें? राहुल जी और कांग्रेस संघी और गोदी मीडिया के लिए हमेशा से ही सॉफ्ट टारगेट रहा है। अपना समय अर्थव्यवस्था बर्बाद होने की वजह ढूंढने और अन्नदाता किसान आंदोलन में मरते किसानों के दर्द को समझकर समस्यायों को हल करने में लगाते तो ज्यादा अच्छा रहता और शायद देश का कुछ भला हो जाता। 

    

आशुतोष पाण्डेय की रिपोर्ट