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प्याज, लहसुन की फसल में रोग व कीट से रहे सावधान, जानिए क्या है बचाव के उपाय



बलिया पत्रिका / बलिया :- लगातार मौसम में बदलाव से इस समय प्याज एवं लहसुन  की फसल में कई तरह के रोग लगने की संभावना बनी रहती हैं। अगर समय रहते इनका प्रबंधन न किया गया तो प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस बारे में आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधौगिक विश्व विद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रो रवि प्रकाश मौर्य ने प्याज लहसुन की खेती करने वाले किसानों को सलाह दिया है कि मौसम के अनुकुलता के आधार पर दोनों फसलों में झुलसा, मृदुरोमिल फफूंदी, बैगनी धब्बा रोग एवं थ्रिप्स कीट से सावधान रहने की आवश्यकता है। 




       झुलसा रोग में प्रभावित पौधौ की पत्तियां एक तरफ पीली तथा दूसरी तरफ हरी रहती है। मृदु रोमिल रोग मे पत्तियों की सतह पर बैगनी रोयेदार वृद्धि दिखाई पड़ती है। जो बाद मे हरा रंग लिये पीली हो जाती है। दोनों बीमारियोँ के रोकथाम हेतु मैकैजेब 75 डब्लू. पी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करे। बैगनी धब्बा रोग मे प्रभावित पत्तियों और तनों पर छोटे छोटे गुलाबी रंग के धब्बे पड़ जाते है जो बाद मे भूरे होकर आँख के आकार के हो जाते है तथा इनका रंग बैगनी ह़ो जाता है। इसके प्रबन्धन के लिए डिफेनोकोनाजोल 2.5 मिली प्रति लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करे। प्याज लहसुन में   थ्रिप्स कीट का प्रकोप भी ऐसे  मौसम मे होता है। ये कीट छोटे पीले रंग के होते है। इनके शिशु एवं प्रौढ़ दोनों पत्तियों का रस चूसते है जिसके कारण पत्तियों पर हल्के हरे रंग के लम्बे लम्बे  धब्बे दिखाई पड़ते है जो बाद मे सफेद रंग के हो जाते है। इसके प्रबंधन के लिये साइपरमेथ्रिन 1 मिली प्रति लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करे। ध्यान रहे प्याज लहसुन की पत्तियाँ चिकनी होती है उस पर दवा चिपकता नही है। इसलिए चिपचिपा पदार्थ ट्राइटोन या सेन्डोविट 1 मिली प्रति लीटर घोल मे मिला कर छिड़काव करें। दवाओं के  छिड़काव के कम से कम दो सप्ताह बाद ही प्याज एवं लहसुन को खाने मे प्रयोग करे। छिड़काव के बाद स्नान कर कपड़ों को अच्छी तरह साबुन से धोले।